Shiv Tandav Stotram Hindi Lyrics – Shiv Tandav शिव तांडव

शिव तांडव Shiv Tandav Stotram Hindi Lyrics – Shiv Tandav Lyrics – शिव तांडव Shiv Tandav Stotram Hindi Lyrics – Shiv Tandav


Bhajan: Shiv Tandav Stotram
Singer: Shankar Mahadevan
Lyrics: Traditional
Composer: Shailesh Dani
Language: Sanskrit
Label: Times Music

शिव तांडव Shiv Tandav Stotram Hindi Lyrics – Shiv Tandav



Lyrics

Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi

जटाटवी गल ज्जल प्रवाह पावित स्थले

गलेऽ वलम्ब्य लम्बितां भुजंग तुंग मालिकाम्‌।

डमड्डम ड्डम ड्डम निनादवड्डमर्वयं

चकार चंड तांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥१॥

जटा कटाह संभ्रम भ्रम न्निलिंप निर्झरी

विलोल वीचि वल्लरी विराज मान मूर्धनि ।

धगद्धगद्धग ज्ज्वलल्ल लाट पट्ट पावके

किशोर चंद्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधु वंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मान मानसे ।

कृपा कटाक्ष धारणी निरुद्ध दुर्ध रापदि

कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणा मणि प्रभा-

कदंब कुंकुम द्रव प्रलिप्त दिग्व धूमुखे ।

मदांध सिंधुर स्फुरत्वगुत्तरी यमेदुरे

मनो विनोद द्भुतं बिंभर्तु भूत भर्तरि ॥४॥

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेष लेख शेखर-

प्रसून धूलि धोरणी विधू सरांघ्रि पीठभूः ।

भुजंग राज मालया निबद्ध जाट जूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधु शेखरः ॥५॥

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-

निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।

सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥६॥

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥७॥

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-

त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।

निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-

द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-

धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामही महेन्द्रयोः

समं प्रवृत्तिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन् ।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥

निलिंपनाथनागरीकदम्बमोलमल्लिक:

निगुम्फनिर्भरक्षरन्मधूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनीमहर्निशं

परिश्रयं परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभा शुभ प्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेति संततम् ।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥16॥

 

 

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